चैतन्य महाप्रभु की सती साध्वी धर्मपत्नी विष्णुप्रिया के त्यागपूर्ण जीवन में उसकी मनोदशा का बड़ा सरस एवं कवि ने काव्य परंपरा में नई उपलब्धि प्राप्त की है
सम्राट अशोक की पत्नी एवं कुण्डल की विमाता की चक्षुदान देने के उपरांत कुंडल अपनी सहधमृन्दी के साथ गीत गाता देशाटन करता है|
इसमें पौराणिक कथानक के आधार पर कवि ने भगवती दुर्गा का पावन चरित्र का वर्णन किया है |
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